डिप्रेशन वह स्थिति है जिसमें मनुष्य लंबे समय तक उदासी, निराशा, थकान और जीवन की अर्थहीनता महसूस करता है।इसमें व्यक्ति को लगता है कि कुछ भी अच्छा नहीं है, जीवन बेकार है और भविष्य अंधकारमय है। ऐसी स्थिति मानव जीवन में कब आती है जब मनुष्य को यह लगता है कि सब कुछ खराब है जीवन खराब है प्रकृति खराब है जीवन का कोई अर्थ नहीं और मनुष्य यह सोचकर आत्महत्या करता है या मानसिक रूप से अस्वस्थ हो जाता है ऐसा क्यों होता है जबकि मनुष्य धरती का सबसे बुद्धिमान प्राणी है मनुष्य के पास अपने जीवन जीने के लिए पर्याप्त साधन उपलब्ध है फिर भी मानव जीवन में ऐसा होता है जब मनुष्य को ऐसा लगता है की जीवन में कुछ नहीं बचा अब जीवन को खत्म कर लेना चाहिए इन सब की वजह है मनुष्य की परिस्थितियों या हम यह कह सकते हैं कि इनकी वजह है मनुष्य की जीवन शैली। मानव जीवन में ऐसी परिस्थितियों के दो प्रमुख कारण हो सकते हैं पहला कारण है मनुष्य की जीवन शैली और दूसरा कारण है मनुष्य के जीवन में अध्यात्म की कमी हम दोनों कारणों पर चर्चा करते हैं पहला कारण है मनुष्य की जीवन शैली हमारा जीवन हमारा अपना है इस बात का हमें सदैव ध्यान रखना चाहिए हमारा जीवन हमारा अपना है कैसे हमारा जीवन तय किया है प्रकृति ने प्रकृति नहीं हम सबको मानव जीवन दिया हमें यह बात सदैव याद रखनी चाहिए हमने अपना जीवन अपनी इच्छा से नहीं चुना है कि हमें मानव बनाया जाए हमें जीवन दिया गया है प्रकृति के द्वारा एक मकसद के द्वारा प्रकृति ने हम सबको मानव जीवन दिया है और यह मकसद हम सभी को सदैव याद रखना चाहिए जब तक कि हमारे प्राण हमारे शरीर से नहीं निकल जाए प्रकृति ने मानव के कंधों पर एक जिम्मेदारी दी है इस प्रकृति को बचाए रखने की। हम सभी मानव के कंधों पर यह जिम्मेदारी है कि हम प्रकृति का संरक्षण करें प्रकृति को संचार रूप से चलने में मदद करें हम सभी का प्रकृति के प्रति कर्तव्य है जब तक यह कर्तव्य का निर्वहन हम नहीं कर देते हमें अपने शरीर को नष्ट करने की इजाजत नहीं है इस बात को सदैव ध्यान रखें जब भी आपके मन में निराश हो आपको लगे कि जीवन को खत्म कर लेना चाहिए जीवन में कुछ भी नहीं बचा तब आपको एक बार शांति से यह सोचना चाहिए कि क्या मैं अपने जीवन के सभी कर्तव्यों का निर्वहन कर लिया है क्या मैं प्रकृति का कर्ज अदा कर दिया हैएक बार आपको शांत मन से इस बारे में विचार करना चाहिए अगर आपको लगता है कि हां मैंने प्रकृति का कर्ज अदा कर दिया है तो ठीक है फिर जीने का कोई मतलब ही नहीं फिर आपको आत्महत्या कर लेनी चाहिए क्योंकि व्यक्ति की पूरी उम्र निकल जाती है लेकिन प्रकृति का कर्ज अदा नहीं होता आप जो सांस ले रहे हैं वह प्रकृति का आप पर कर्ज है जब तक आप सांस लेते रहेंगे प्रकृति का कर्ज आपके ऊपर बढ़ता रहेगा। हम सभी का पहला कर्तव्य प्रकृति के प्रति है हमें प्रकृति से बहुत कुछ मिला है और हमें प्रकृति को लौटाना होगा जब भी आपके मन में आत्महत्या करने का विचार आए तो पहले यह विचार कीजिए कि क्या मैं प्रकृति को कुछ लौट आया है हम सब ने प्रकृति से बहुत कुछ लिया है क्या हमने प्रकृति को कुछ लौट आया है हमारा कर्तव्य बनता है कि हम सभी प्रकृति के द्वारा दिया गया जीवन में ऐसा कुछ कार्य करें जिससे की प्रकृति को संरक्षण प्रदान हो और प्रकृति अपना कार्य संचार रूप से कर सके हमारा जीवन हमारा अपना नहीं है जिसे कि हम जब चाहे खत्म कर ले हमारा जीवन प्रकृति का है हमारा जीवन हमारे आसपास रहने वाले प्रत्येक जीव का है हमारा जीवन हमारे परिवार का है हमारा जीवन मानव समाज का है हमारा जीवन हमारी माता-पिता का है हमारा जीवन हर उसे व्यक्ति का है जिसके साथ हमारा लगाव है जब जीवन हमारा है ही नहीं तो हम इस जीवन को खत्म करने वाले कौन होते हैं हम सभी को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि हमारा जीवन हमारा नहीं है हमारा जीवन प्रकृति का है प्रकृति जब चाहे इसे खत्म कर सकती है लेकिन हम अपने द्वारा अपने जीवन को खत्म नहीं कर सकते हमारे पास इसका अधिकार नहीं है जिसका हमारे पास अधिकार ही नहीं है हम उसे खत्म कैसे कर सकते हैं यह बात सदैव अपनी मस्तिष्क में रखिए। हमारा जीवन कैसा होगा यह हम तय करते हैं ना की प्रकृति तय करती है प्रकृति का कार्य है जीवन देना और जीवन को चलाने के लिए जरूरी ज्ञान प्रदान करना जिससे कि जीवन चल सके प्रकृति का जीवन देने के प्रति एकमात्र मकसद है कि धरती पर जीवन चलता रहे और प्रकृति का वजूद बना रहे इसके अलावा प्रकृति हमसे कुछ नहीं चाहती बाकी सभी कार्य करने के लिए मनुष्य स्वतंत्र है हमारे जीवन में जो भी कष्ट है दुख है निराशा है उन सब का कारण हमारा जीवन नहीं हम स्वयं हैं क्योंकि जीवन का तो एक ही मकसद है अपने सामान दूसरे जीवों को पैदा करना उसके अलावा जीवन का कोई दूसरा मकसद नहीं होता आप सभी जानते हैं कि जब धरती पर मनुष्य पैदा भी नहीं हुआ था उसे समय भी धरती पर जीवन था और जब कल हम मरेंगे तब भी धरती पर जीवन रहेगा लेकिन महत्व यह रखता है कि जब हमारे पास जीवन है तो हमने प्रकृति को क्या लौटया हमने अपने जीवन काल में प्रकृति को क्या दिया क्योंकि प्रकृति वही याद रखेगी कि मैं इस जीवन दिया मानव का जीवन दिया और इस मानव ने मुझे यह वापस लौटाया प्रकृति यही याद रखेगी। मानव जीवन में निराशा के कई कारण हो सकते हैं हर व्यक्ति के जीवन में निराशा के अपने-अपने कारण होते हैं लेकिन इन सभी कारणों का मूल कारण मनुष्य का स्वार्थ और लालच है आईए जानते हैं कैसे हम सभी मानव अपने जीवन को बेहतर तरीके से जीना चाहते हैं ज्यादा से ज्यादा संसाधनों का उपयोग करना चाहते हैं ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना चाहते हैं ताकि हम ज्यादा से ज्यादा संसाधनों को खरीद कर अपने जीवन को बेहतर तरीके से जी सके लेकिन जब हमारे पास संसाधनों की कमी होती है या हम संसाधनों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं और हम संसाधनों को पर्याप्त मात्रा में उपयोग नहीं कर पाते हैं तो हम निराश हो जाते हैं हताश हो जाते हैं और हमें लगता है कि जीवन बेकार है और हम आत्महत्या कर लेते हैं डिप्रेशन में चले जाते हैं हम लोगों को देखकर अपना जीवन जीना चाहते हैं कि लोग अपना जीवन कैसे जीते हैं और यही मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी भूल है हमें लोगों के जीवन को देखकर नहीं जीना है हमें अपने जीवन को देखकर जीना है हमें प्रकृति को देखकर जीना है की प्रगति ने हमें जीवन दिया है और हम इस जीवन को कैसे जीते हैं यह हमारी जिम्मेदारी है हमें लोगों को देखकर अपना जीवन नहीं जीना है हमें लोगों को दिखाने के लिए जीवन नहीं जीना है हमें जीवन जीना है अपने लिए हमें जीवन जीना है हमारे परिवार के लिए हमें जीवन जीना है प्रकृति के लिए हमें जीवन जीना है उन सभी लोगों के लिए जो हमसे प्यार करते हैं हमें दूसरों के दिखावे के लिए जीवन नहीं जीना चाहिए यही जीवन में निराशा लाता है कि लोग हमारे बारे में क्या कहेंगे दुनिया हमारे बारे में क्या कहेंगे हमें इन सब की परवाह नहीं करनी चाहिए हमें अपना जीवन अच्छे तरह से जीना चाहिए और जीवन में संतुष्ट होना चाहिए कि मैं अपना जीवन अच्छे से जी रहा हूं। आपके पास जो संसाधन है वह जीवन के लिए पर्याप्त है क्योंकि जीवन को संसाधन नहीं चलते संसाधनों को जीवन चलता है क्योंकि जब तक जीवन है सभी संसाधनों का मूल्य है जिस दिन जीवन समाप्त हो जाएगा सभी संसाधनों का मूल्य भी समाप्त हो जाएगा इसलिए ज्यादा संसाधनों का लालच मत कीजिए ज्यादा पैसे कमाने का लालच मत कीजिए ज्यादा तरक्की पानी का लालच मत कीजिए जो है वह पर्याप्त है जब भी आपके मन में निराशा उत्पन्न हो कि जीवन में कुछ नहीं बचा जीवन खत्म हो गया है जीवन को खत्म कर लेना चाहिए तो सभी काम छोड़कर अपने घर से अपने ऑफिस से बाहर निकली है और अपने आसपास प्रकृति को देखिए पेड़ पौधों को देखिए जानवरों को देखिए पक्षियों को देखकर कीड़े मकोड़े को देखिए की क्या उनके पास वह सभी चीज हैं जो आपके पास है क्या इन सभी के पास वह संसाधन है जो आपके पास है क्या इन सभी के पास रहने के लिए अपना घर है क्या इन सभी के पास पर्याप्त खाना है क्या इनके जीवन में संघर्ष नहीं है क्या इनका जीवन आसान है यह सब कुछ जानने का प्रयास कीजिए और हो सके तो किसी ऐसे स्थान पर जाइए जहां पर प्राकृतिक नजारे हो खूबसूरती हो और प्रकृति को जानने का प्रयास कीजिए आप महसूस करेंगे कि चारों तरफ संघर्ष चल रहा है हर जीव अपने जीवन को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है हर जीव के जीवन में कष्ट है लेकिन फिर भी वह अपना जीवन जी रहा है खुशी से उसके जीवन में आनंद हैक्योंकि उसके जीवन का मूल आधार प्रकृति है वह अपने जीवन को प्रकृति को समर्पित करके अपना जीवन जीता है मानव अपने जीवन को प्रकृति को समर्पित नहीं करता जिसकी वजह से मनुष्य के जीवन में निराशा और हताशा फैलती है संघर्ष प्रकृति का दूसरा नाम है आप जब तक जीवित है तब तक आप संघर्ष कर रहे हैं जिस दिन अपने संघर्ष करना छोड़ दिया समझ लीजिए कि आपकी मृत्यु हो चुकी है जब भी आपके मन में आत्महत्या करने का विचार आए आप प्रकृति को देखिए यही समझ कर देख लीजिए की अंतिम बार प्रकृति को देख रहा हूं और अंतिम बार प्रकृति को समझने का प्रयास कर रहा हूं अगर आपने प्रकृति को समझ लिया आपने प्रकृति के रहस्य को जान लिया आपने प्रकृति के संघर्ष को जान लिया तो मान लीजिए कि आप कभी भी आत्महत्या का विचार आपके मन में कभी नहीं आएगा क्योंकि अपने जीवन को पहचान लिया है कि बिना संघर्ष के जीवन संभव नहीं । आपके पास जो संसाधन है वह पर्याप्त है अगर आपको लगता है कि आपके पास जो संसाधन है वह पर्याप्त नहीं है तो उसके लिए मेहनत कीजिए सही तरीका अपनाए अपने खर्चे कम कीजिए मेहनत ज्यादा कीजिए खुश रहने के लिए प्रकृति के साथ अपना एक संबंध बनाए अपने आप को अकेला कभी महसूस मत कीजिए क्योंकि व्यक्ति कभी अकेला नहीं होता हमें लगता है कि हम अकेले हैं लेकिन हम कभी अकेले नहीं होते हमारे साथ पूरी प्रकृति होती है आप धरती पर रहते हैं या धरती से बाहर भी आप चले जाएंगे तब भी प्रकृति आपके साथ ही रहेगी क्योंकि जीवन ही प्रकृति है आप कभी अकेले नहीं है अपने आप को कभी अकेला महसूस ना करें अगर आप सांस ले रहे हैं तो आप कभी अकेले नहीं है अगर आपका कोई मित्र नहीं है आपका कोई रिश्तेदार नहीं है या आपको लगता है कि आपका कोई रिश्तेदार नहीं है आपका साथ देने वाला कोई व्यक्ति नहीं है आप बिल्कुल अकेले हैं तो सबसे अच्छा उपाय है कि किसी जानवर को अपने साथ रखिए उससे प्रेम करना सिखाए उसके सर अपने दिनचर्या साझा करें अपने विचारों में प्रकृति को शामिल कीजिए प्रकृति के बारे में सोचिए प्रकृति कैसे कार्य करती है पेड़ पौधे कैसे उगाते हैं जंगल में रहने वाले जानवर कैसे अपना जीवन जीते हैं पक्षियों को देखिए पक्षियों के बारे में विचार कीजिए अच्छी किताबें पढ़िए अच्छे लोगों से मिलिए अपने विचारों को साझा कीजिए आपको लगता है कि आपकी बात सुनने वाला कोई नहीं है आपका कोई परिवार नहीं है आपका कोई रिश्तेदार नहीं है आपका कोई मित्र नहीं है आप दुनिया में अकेले हैं आपकी समस्याएं सुनने वाला इस दुनिया में कोई नहीं है ईश्वर पर आपका भरोसा नहीं रहा आपको लगता है कि ईश्वर है ही नहीं आपको चारों तरफ अंधकार नज़र आता है आपको प्रकाश की कोई किरण नजर नहीं आती आपकी परेशानी को समझने वाला कोई नहीं आपके दुखों को समझने वाला कोई नहीं है तो इन सब से निराश और हताश होने की जरूरत नहीं है इन सब से परेशान होकर अपने शरीर को नष्ट करने की जरूरत नहीं है आत्महत्या करने की जरूरत नहीं है मानसिक रूप से परेशान होने की जरूरत नहीं है अपने आप को अकेला पानी की जरूरत नहीं हैइन सब समस्याओं को दूर करने का सबसे आसान तरीका है कि आप एक पेड़ को गोद ले लीजिए या एक पौधे को गोद ले लीजिए अपने घर में अपने ऑफिस में अपने कमरे में एक पौधा लगाइए अपने घर के बाहर एक पेड़ लगाइए उनसे बातें कीजिए उन्हें प्यार दीजिए अपने दिन भर क्या-क्या कार्य किया आप क्या सोचते हैं क्या विचार करते हैं आपके जीवन में ऐसी कौन से प्रश्न है जिनका उत्तर आप जानना चाहते हैं आपके जीवन में ऐसी कौन से प्रश्न है जो आपको सबसे ज्यादा परेशान करते हैं आप उन पौधों से बात कीजिए उन्हें बताइए अपने दिन भर कौन-कौन से कार्य की और यह बताइए आपके जीवन में कौन-कौन से लोग महत्वपूर्ण है उन्हें बताइए पौधों से बातें कीजिए पेड़ों से बातें करना प्रारंभ कीजिए और देखिए कि वह अपने जीवन में कैसे तरक्की कर रहे हैं पेड़ पौधे कैसे बढ़ रहे हैं उनके पास घर नहीं है उनके पास परिवार नहीं है उनके पास कोई संसाधन नहीं है वह अकेले हैं फिर भी बढ़ रहे हैं और उनके पास आने वाली प्रत्येक जीव को खुशियां दे रहे हैं हमें पेड़ पौधों से सीखना चाहिए और हो सके तो अपने जीवन में एक पेड़ को गोद लेना चाहिए एक पौधे को गोद लेना चाहिए और उनसे बातें करना चाहिए आप महसूस करेंगे कि धीरे-धीरे वह पौधा आपसे बात करेगा जब आप अपने कार्य से घर लौटेंगे और अपने पौधे से बात नहीं की तो आप महसूस करेंगे की पौध आपको आवाज लगाएगी और आपसे कहेगा कि बताओ अपने दिन भर में क्या-क्या किया मेरे से बातें करो मुझे बताओ तुम्हारी परेशानी क्या है हम दोनों दोस्त हैं हम आपस में मिलकर तुम्हारी परेशानी को दूर करेंगे पेड़ पौधे बातें करते हैं यह विज्ञान में प्रूफ हो चुका है सबसे अच्छा तरीका है अपने जीवन की सारी समस्याओं को दूर करने का कि आप प्रकृति से जुड़े और प्रकृति से जुड़ाव भी मनुष्य की सारी समस्याओं का एकमात्र समाधान है । आपके जीवन में निराशा है आप मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं आपको लगता है कि आत्महत्या कर लेनी चाहिए आपके जीवन में इतनी ज्यादा परेशानियां है कि अब जीवन जीना मुश्किल हो गया है तो एक बार हमारी बात मानकर अपने घर पर अपने कमरे में एक पौधा लेकर आई और 10 दिन तक उसे पौधे से बात कीजिए अपने सारे सुख-दुख की बातें उसे पौधे से कीजिए उसे अपना दोस्त बनाया एक सच्चा मित्र बनाया और उसे प्रेम दीजिए 10 दिन बाद आप देखेंगे कि आपको महसूस होने लगेगा की पौध आपसे बात करता है आप उसकी भाषा समझने लगेंगे आप उससे बातें करने लगेंगे आपको अब अकेलापन महसूस ही नहीं होगा आपको लगेगा कि आपकी सारी तकलीफें अपने आप खत्म होने लगी है आपके जीवन में फिर से खुशियां आने लगी है आपको लगेगा कि जो कार्य आप इतने वर्षों से करने का प्रयास कर रहे थे वह अब अपने आप ही होने लगा है आपके भीतर एक ऐसी सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होने लगा है जो आपके जीवन को ऊर्जा से भर रहा है आपके भीतर अलग कार्य करने की शक्तियां पैदा हो रही है आप महसूस करेंगे कि आपके भीतर एक अजीब शक्ति प्रवेश कर रही है जो आपके जीवन को और मजबूती से दुनिया के सामने प्रस्तुत कर रही है आपके भीतर एक अलग ऊर्जा है जो आज से पहले आपके जीवन में नहीं थी एक बार हमारे कहने से हमारी अनुरोध से यह करके देखी पेड़ पौधों से प्यार करना सीखिए जानवरों से पक्षियों से पशु पक्षियों से प्यार कीजिए आप देखेंगे कि आपने जितना प्यार उन्हें दिया है वह उससे कई गुना अधिक प्यार आपको वापस लौट रहे हैं प्रकृति से जुड़िए और अपनी सारी समस्याएं प्रकृति के सामने रखे । हम सभी मनुष्य के पास एक समान जीवन है हम सभी मनुष्य एक प्रकृति की संतान है हम सभी में कोई भेदभाव नहीं जब भी किसी मनुष्य को मदद की जरूरत हो हम सभी का कर्तव्य है कि हम सभी को एक दूसरे की मदद करनी चाहिए जितना भी संभव हो सके हमें एक दूसरे की मदद करनी चाहिए इससे मानवता बरकरा रहती है जो मानव समाज के लिए बेहद जरूरी है इससे मानव का मानव के प्रति विश्वास बना रहता है हमें प्रकृति के प्रति जागरूकता फैलानी चाहिए क्योंकि प्रकृति हमारे जीवन का एकमात्र आधार है हमें जीवों के प्रति दया का भाव रखना चाहिए क्योंकि मनुष्य धरती का सबसे बुद्धिमान प्राणी है हमें सभी जीवो का संरक्षण करना चाहिए अपने स्वार्थ और लालच के लिए किसी भी जीव की हत्या नहीं करनी चाहिए । आपके जीवन में जो भी कष्ट है जो भी समस्याएं हैं हमें उन समस्याओं के बारे में जानकारी दीजिए आपकी जो भी समस्या है हमें उन समस्याओं को बताइए आपका जो भी दुख है हमें उन दुखों के बारे में जानकारी दीजिए आपके जितनी भी तकलीफ है आपके जीवन में जो भी प्रश्न है जिन प्रश्नों का उत्तर आप जानना चाहते हैं जो आपके जीवन में एक महत्वपूर्ण हिस्सा है उन प्रश्नों को हमें बताइए और हम प्रयास करेंगे कि आपके सभी दुखों सभी तकलीफों का निवारण का रास्ता हम बता सके और आपके अंशुलजे प्रश्नों का उत्तर देने का हम प्रयास कर सके हमारी इस बात को प्रत्येक मनुष्य तक पहुंचाने में हमारी मदद कीजिए ताकि इस धरती का कोई भी व्यक्ति मानसिक तनाव से ग्रस्त ना हो धरती का कोई भी मानव आत्महत्या ना करें धरती के प्रत्येक मनुष्य का जीवन स्वस्थ और सुखी हो हम सभी धरती के मानव मिलकर प्रकृति का संरक्षण कर सके और सभी जीवो के जीवन की रक्षा कर सके लिए हम सब मिलकर हमारी इस मुहिम में शामिल हो ताकि हम प्रकृति को बचा सके प्रकृति का संरक्षण कर सके और मनुष्य की व्यक्तिगत समस्याओं के साथ-साथ विश्व की वैश्विक समस्याओं का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान कर सके मेरा आपसे अनुरोध है कि इस बात को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने में हमारी मदद कीजिए और हमसे जुड़ने का प्रयास कीजिए मेरा कांटेक्ट नंबर और सोशल मीडिया के लिंक में साथ में दे रहा हूं एक बार मनुष्य बनाकर सोचिए और मनुष्य पर भरोसा कीजिए हम सब साथ मिलकर इस प्रकृति को बचा सकते हैं हमारी पृथ्वी को बचा सकते हैं इस धरती पर जीव जगत को बचा सकते हैं लिए हम सब मिलकर प्रयास करें इस धरती को स्वर्ग बनाएं। आगे हम दूसरी समस्या अध्यात्म की कमी पर चर्चा करेंगे हमारे साथ बने रहिए।
प्रकृति नमामि जीवनम्।
यह अंश हमारी पुस्तक सर्व साम्य अद्वैत प्रकृति चेतनवाद दर्शन — भाग 1 : नव सवित तत्व प्रकृतिवाद से लिया गया है। इस पुस्तक का उद्देश्य प्रकृति की सर्वोच्च सत्ता की स्थापना करके विश्व में शांति स्थापित करना है, ताकि धरती पर रहने वाले सभी जीवों के जीवन में शांति बनी रहे, मनुष्य के जीवन में भी संतुलन और सौहार्द रहे, तथा सभी मनुष्य आपस में मिल-जुलकर अपने विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकें। हमारी प्रकृति से प्रार्थना है कि धरती पर स्थित प्रत्येक जीव सुखी रहे, स्वस्थ रहे।” आप भी चाहते हैं विश्व में शांति तो हमसे संपर्क करें।
जीमेल-: cosmicadvaiticconsciousism@gmail.com
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