जीवन को समझने के लिए हमें धर्म को समझना होगा क्योंकि आज के परिवेश में धर्म जीवन का पर्याय बन गया है। इन दोनों में इतनी समानता है कि जीवन और धर्म दोनों एक जैसे लगते हैं मानो दोनों में कोई अंतर ही नहीं है। जीवन और धर्म दोनों अलग-अलग हैं, दोनों में बहुत अंतर है। इस अंतर को समझने के लिए हमें धर्म को जानना होगा। हमें समझना होगा कि धर्म क्या है? धर्म या संप्रदाय को समझने और जानने के लिए हमें अध्यात्म को जानना होगा, अध्यात्म क्या है? अध्यात्म को समझना और जानना बहुत कठिन है क्योंकि पृथ्वी के सभी अनसुलझे रहस्यों का जवाब अध्यात्म ही है। अध्यात्म को जानने, समझने और साधने के लिए हमें चिंतन को समझना होगा, चिंतन क्या है? चिंतन कैसे किया जाता है और चिंतन से अध्यात्म कैसे प्राप्त होता है। चिंतन एक जटिल प्रक्रिया भी है क्योंकि अगर चिंतन सही दिशा में हो तो यह जीवन को महान बना देता है और अगर यह गलत दिशा में हो तो यह जीवन को बर्बाद कर देता है। दुनिया के सभी धर्मों के नियम मनुष्य को सही दिशा में सोचने के लिए बनाए गए थे ताकि मनुष्य भ्रमित न हो और सही दिशा में सोचे। चिंतन एक ऐसी प्रक्रिया है जो गंभीर चिंतन से उत्पन्न होती है।
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